$ 0 0 टी एस दरालमलाई का हलवा : ये आपको किसी हलवाई की दुकान पर नहीं मिलेगा । खाने के लिए संपर्क करें ।सुनीता शानूहम पे सोने का पेन था जब तकसब खतों के जवाब आते थेतितलियां भेजते थे हम खत मेऔर उधर से गुलाब आते थेफ़हमी बदायूनीPadm Singhअयोध्या में हनुमान गढ़ी से लेकर जन्मभूमि तक पतली गली जैसी सड़क है जिसके दोनों तरफ दुकानें हैं जिनमे टीन शेड लगाने से गली पतली हो गयी है... 2 नवम्बर 1990 को कारसेवकों का जत्था उन्हीं गलियों से भजन गाते, जयकारे लगाते जन्मभूमि की ओर बढ़ रहा था... दोनों तरफ टीन शेडों और छतों पर हज़ारों पैरा मिलिट्री फ़ोर्स और पुलिस वाले सशस्त्र खड़े थे। ऐसे समय में मुलायम सिंह ने गोली चलाने का आदेश दिया... गलियों से बाहर भागने का कोई रास्ता नहीं था... दोनों ओर छतों से गोलियाँ बरस रही थीं... कोई नहीं बचा... जो दुकानों में घुसे उन्हें पुलिस ने बाहर खींच कर गोली मार दी... रात भर ट्रकों में लाशें अज्ञात स्थानों और सरयू में फेंकी गयीं.... सरयू का पानी स्वयंसेवकों के लहू से लाल हो गया... लोग पूरे भारत से आए थे... इस लिए किसी की शिनाख्त नहीं हुई... सरयू में पानी बह गया... ये जघन्य सरकारी नरसंहार विस्मृति में दब गया...वही आततायी फिर से सत्ता पर काबिज़ अट्टहास कर रहा है... कहता है ज़रुरत पड़ी तो फिर चलवाऊंगा गोलियाँ... सहिष्णुता के पुजारी मौन हैं.... लेकिन कारसेवकों के नरसंहार का जवाबदेह कौन हैं ?Dr-Monica Sharrmaसमाचार चैनल हों या सोशल मीडिया बेवजह के मुद्दों का शोर ही सुनने को मिलता है । अज़ब- गज़ब से मसलों पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की आक्रमता और सोशल मीडिया की गैर जिम्मेदार अफवाहें देखते ही बनती हैं । देश में कोई प्राकृतिक विपदा आये या आतंकी हमला हो जाए, इन्हें कोई लेना देना नहीं । बस, आये दिन कोई ना कोई ऐसा मुद्दा खड़ा कर दिया जाता है जो आमजन की समस्याओं को लील जाता है । समस्याएं, जिन्हें सही मायने में सरोकार भरी बहस और हल की दरकार है । रोज एक नया मुद्दा उछलता है और फिर गुम हो जाता है । बिना किसी सार्थक बहस और निष्कर्ष के । दुखद पहलू ये कि यह प्रवत्ति कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है । जबकि देश के समक्ष आज अनगिनत गंभीर मसले मौजूद हैं, नीतिगत निर्णय अटके पड़े हैं , जिनके बारे में सोचा जाना आवश्यक है ।Shyamal Sumanमैंने आँखें बिछायीं मगर आई ना, खुद को देखूँ तो डसने लगा आईनाआई ना आई ना शोर करता रहा, सुनके सचमुच दरकने लगा आईनाआई ना ना वो करते मेरे पास जब, सच कहूँ आई ना प्यास मिलने की तबवो तो आकर के समझो अभी आई ना, मन के भीतर सिसकने लगा आईनावाणी गीतfeeling Greatful.तुम एक से नौ कीकोई संख्यामैं तुम्हारे बाद का शून्य!मैं शून्य ही सहीबस तुम्हारे बाद हूँ!!बहुत दिनों बाद कुछ उपजा. कल किसी अपने ने "कैलीबर "याद दिलाया.Manorma Singhहमारे विकसित शहरों, महानगरों की सड़कों और गलियों में बरसात के पानी से हाहाकार मच जाता है पर वो दिन भी थे औरबिहार के एक जिले के वैसे छोटे से टाउनशिप में भी रहना हुआ जहां रात की भरपूर बारिश के बाद सामने का बड़ा मैदान सुबह सुबह अरब सागर, हिन्द महासागर सा लगता था,सड़क के साथ लगी हर छोटी बड़ी खाली जमीन पानी से लबालब, स्कूल से वापसी में जूते हाथ में हुआ करते और शौकिया रोड छोड़कर पानी भरे फील्ड में छपाछप। पानी जितनी जल्दी जमा होता उतनी ही जल्दी खाली भी, सत्तर के दशक में वहां एक बार बाढ़ आयी थी, रोड पर नाव चलने और छत पर खाना बनाने के किस्सों के बीच गुस्सा आता, हमारे टाईम में गंगा के किनारे गुप्ता बांध क्यों बना दिया गया, अब शहर में बाढ़ जैसा पानी नहीं आता जबकि वो केवल इम्बेकमेंट था कई बार बगल के एक गांव महना होते हुए गुप्ता बांध से गंगा का प्रवाह देखने जाया करते थे, पता नहीं अब क्या हाल है लेकिन बरसात के बाद पानी जमा होने से छई छप्पा समेत जितने तरह के खेल खेले जा सकते थे हम खेलते थे, अंजूरी में छोटी-छोटी मछलियां और टेडपाल भरकर मां को अपना अचार वाला बोईयाम देने की आवाज लगाते थे, लेकिन ये तब की बात है जब हमारे शहर 'विकसित'नहीं हुए था और बरसने वाला पानी एक डर एक "प्राब्लम"नहीं था।Anshu Mali Rastogiबहुत दिन होने को आए किसी ने कुछ लौटाया नहीं...!Mukesh Mishraचेन्नई आपदा के लिये आपलोगों से एक अनुरोध.. 18 दिसंबर को आ रही शाहरूख की मूवी दिलवाले को ना देखकर टिकट के 150 रूपए चेन्नई आपदा के लिये प्रधानमंत्री राहत कोष में जरूर दे.. आपकी यह एक छोटी पहल आगे पहाड़ बनेगी।Rajesh Kummar Sinhaएक ख्याल यूँ ही ,,,,,,,,, ===========इश्क की तन्हाईशाख़े उम्मीद पर पनपती आशनाईहोती है ख़ार की मानिंदचाहे लिख डालो दर्ज़नो रुबाईराजेश सिन्हा,,,,,,, Nivedita Srivastavaपहला पराठा खाते समय स्वाद की अनुभूति ... दूसरा पराठा खाते समय सुकून का एहसास .... और तीसरा पराठा खाते समय - हे पराठे तुम कब खत्म होओगे ... 😎 😊😇Alok Puranikअद्भत है न यह शेर-कितने दिलकश हो तुम, कितना दिलजूं हूँ मैंक्या सितम है कि हम लोग मर जायेंगे -जॉन एलियाBaabusha Kohliतुम क्या गईंमैं बेसुरा हो गयाजीवन-संगीत और वस्तुगत आकर्षणसब बुरा हो गयामैं पँक्तियों के खो जाने पर भी रोया हूँतुम तो समूची स्त्री थीं [ अविनाश मिश्र ]Ajay Kumar Jhaमुख्यमंत्री जी विधानसभा में ...केंद्र सरकार भ्रष्ट है जी ,कांग्रेस भाजपा भ्रष्ट हैं जी,दिल्ली पुलिस भ्रष्ट है जी,बिजली बोर्ड , जल बोर्ड भ्रष्ट हैं जी, नगर- निगम वाले भ्रष्ट हैं जीयोगेन्द्र -प्रशांत , भ्रष्ट हैं जी , ACB -Lt. Governor , भ्रष्ट हैं जीऑटो वाले भ्रष्ट हैं जी.....कोर्ट, इनकम टैक्स, डीडीए, ...........सब के सब भ्रष्ट हैं जी ...दिल्ली में कुल ईमानदार ....सिर्फ 67 MLA हैं जी